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क्या परमेश्‍वर भी सुनता है?

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याकूब 1:5-8 पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उस को दी जाएगी।6 पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्देह न करे; क्योंकि सन्देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है।7 ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा।8 वह व्यक्ति दुचित्ता है, और अपनी सारी बातों में चंचल है॥

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क्या परमेश्‍वर भी सुनता है?


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क्या आपसे सलाह मांगी गई है और जब आप अपने विचार रख रहे थे, तो आपको आश्चर्य हुआ कि यह व्यक्ति आपके पास क्यों आया? ऐसा लगता है कि वे जानना नहीं चाहते। वे सुन भी नहीं रहे हैं।

मेरा बेटा, जो अब तीस के ऊपर है, हाल ही में एक मुश्किल मुद्दे पर सलाह के लिए मेरे पास आया जिससे वह निपट रहा था। सबसे पहले, एक पिता के रूप में, मुझे अविश्वसनीय रूप से विशेषाधिकार प्राप्त हुआ कि उसने मुझसे पूछा। और दूसरी बात, बेशक मैंने उसके साथ कुछ ज्ञान साझा किया। कितना आनंद आया।

मुझे दृढ़ता से संदेह है कि जब हम परमेश्वर से उसकी बुद्धि माँगते हैं, तो यह उसके लिए भी ऐसा ही होता होगा।

याकूब 1:5-8 क्या तुममें से किसी को बुद्धि की आवश्यकता है? परमेश्वर से माँगो। वह उदार है और सभी को देने में आनंद लेता है। इसलिए वह तुम्हें बुद्धि देगा। लेकिन जब तुम परमेश्वर से माँगते हो, तो तुम्हें विश्वास करना चाहिए। उस पर संदेह मत करो। जो कोई संदेह करता है, वह समुद्र में लहर की तरह है जो हवा से ऊपर-नीचे होती रहती है।

हमने कल इसका पहला भाग देखा। लेकिन अब, आइए उस दूसरे हिस्से के बारे में सोचें। क्या आपको लगता है, जब मेरा बेटा मेरे पास आया, तो उसे कभी संदेह हुआ (एक सेकंड के लिए भी) कि मैं उसे अपनी सबसे अच्छी सलाह दूँगा? बिल्कुल नहीं!

तो ऐसा क्यों है कि जब हम मुश्किल में होते हैं और हम परमेश्वर के पास जाते हैं और प्रार्थना करते हैं, “परमेश्वर मेरी मदद करें। मैं क्या नहीं देख पा रहा हूँ? मैं इससे कैसे निकलूँ?” … तो हम उन पर संदेह करते हैं। हम सोचते हैं कि क्या वह वहाँ है भी, सुनने की तो बात ही छोड़िए।

देखिए, जब आप परमेश्वर से ज्ञान माँगते हैं, तो बस विश्वास करें। संदेह न करें। अगर आप संदेह करते हैं, तो आप समुद्र में लहर की तरह होंगे जो हवा से इधर-उधर उड़ती रहती है।

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज आपके लिए ।