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आत्म-धार्मिकता की कुरूपता

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रोमियों 14:10-13 तू अपने भाई पर क्यों दोष लगाता है? या तू फिर क्यों अपने भाई को तुच्छ जानता है? हम सब के सब परमेश्वर के न्याय सिंहासन के साम्हने खड़े होंगे।
11 क्योंकि लिखा है, कि प्रभु कहता है, मेरे जीवन की सौगन्ध कि हर एक घुटना मेरे साम्हने टिकेगा, और हर एक जीभ परमेश्वर को अंगीकार करेगी। 12 सो हम में से हर एक परमेश्वर को अपना अपना लेखा देगा॥ 13 सो आगे को हम एक दूसरे पर दोष न लगाएं पर तुम यही ठान लो कि कोई अपने भाई के साम्हने ठेस या ठोकर खाने का कारण न रखे।

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आत्म-धार्मिकता की कुरूपता


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न्यायवाद आज समाज में एक कैंसर है। इसका पता लगाने के लिए आपको सोशल मीडिया पर केवल पांच मिनट बिताने होंगे। और यह सिर्फ समाज में नहीं है। जजमेंटलिज्म हमारे जीवन में भी एक कैंसर है।

अपने घर की आराम कुर्सी  पर बैठे आलोचकों द्वारा नेताओं और उनके परिवारों पर व्यक्तिगत हमले, जिन्होंने शायद ही कभी, दूसरों की सेवा करने में पसीना बहाया हो, एक उदाहरण है। बेशक बुरे व्यवहार को निकाला जाना चाहिए।

लेकिन आप जानते हैं और मैं भी जानता हूं कि निष्पक्ष निर्णय और व्यापक निर्णयवाद के बीच बहुत बड़ा अंतर है। जिसके बारे में प्रेरित पौलुस लिखता है:

रोमियों 14:10-13 सो तुम अपने भाई या बहिन को मसीह में क्यों आंकते हो? या आपको क्यों लगता है कि आप उनसे बेहतर हैं? हम सब परमेश्वर के साम्हने खड़े होंगे, और वह हम सबका न्याय करेगा। जी हाँ, पवित्रशास्त्र कहता है, “‘मेरे जीवन की सौगन्ध’, यहोवा की यह वाणी है, ‘सब मेरे सामने झुकेंगे; हर कोई कहेगा कि मैं परमेश्वर हूं।’” इसलिए हममें से प्रत्येक को अपने कामों के बारे में परमेश्वर को समझाना होगा। इसलिए हमें एक-दूसरे का न्याय  करना बंद कर देना चाहिए। आइए हम ऐसा कुछ भी न करने का निर्णय लें जिससे किसी भाई या बहन के लिए समस्या हो या उनके विश्वास को ठेस पहुंचे।

पौलुस का प्रश्न सही है: तो आप मसीह में अपने भाई या बहन का न्याय क्यों करते हैं? हम इस युग के आत्म-धार्मिक न्यायवाद में क्यों भाग लेते हैं। क्यों?

जैसा कि किसी और ने एक बार कहा था: सावधान रहें कि उन लोगों का अमानवीयकरण न करें जिनसे आप असहमत हैं। अपनी आत्म-धार्मिकता में हम वही बन सकते हैं जिसकी हम दूसरों में आलोचना करते हैं और उसे जानते भी नहीं हैं।

क्योंकि हममें से प्रत्येक को अपने कामों के बारे में परमेश्वर को लेखा देना होगा। इसलिए हमें एक-दूसरे का न्याय करना बंद कर देना चाहिए।

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज .आपके लिए…।