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वह जो आप सुनना नहीं चाहते

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मरकुस 12:6,7 ““अब उसके पास केवल एक बच रहा−उसका प्रिय पुत्र। अन्‍त में उसने यह सोच कर उसे उनके पास भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। 7किन्‍तु किसानों ने आपस में कहा, ‘यह तो उत्तराधिकारी है। चलो, हम इसे मार डालें और तब इसकी पैतृक-सम्‍पत्ति हमारी हो जाएगी।’

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वह जो आप सुनना नहीं चाहते


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आलोचना कभी सुखद नहीं होती। यह एक दुखती रग को छू देती है। हम इस सच को जानते हैं। हमें पता है कि हम में कमियाँ हैं, लेकिन हम दूसरों से यह नहीं सुनना चाहते। लेकिन रचनात्मक आलोचना आगे बढ़ने में हमारी मदद करती है।

मैंने कुछ समय पहले एक कोर्स किया था जिसकी समाप्ति पर हमारे शिक्षकों और कोर्स में भाग लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक दूसरे के बारे में एक लंबी प्रश्नावली पूरी करनी थी। फिर कंप्युटर ने इस सारी जानकारी पर आधारित एक रिपोर्ट बना कर हम सब को दे दी। 

अब, उस रिपोर्ट में मेरे बारे में बहुत सी सकारात्मक बातें थीं। लेकिन क्यों की मुझ में कुछ कमियाँ भी हैं, इसलिए एक दो बातें नकारात्मक भी थीं। अब, ऐसे में हम क्या करते हैं? आप या तो इसे अस्वीकार कर देते हैं (जैसा कि बहुत से लोग करते हैं) या आप अपनी कमियों को दूर करने की कोशिश करते हैं, जैसा कि मैं करने का प्रयास कर रहा हूं।

यीशु ने एक पूरे दृष्टांत में बताया कि कैसे इस्राएल ने परमेश्वर द्वारा भेजे गए कई नबियों को अस्वीकार कर दिया। झूठे भविष्यद्वक्ताओं ने लोगों को वही बताया जो वे सुनना चाहते थे और लोग उन्हें पसंद करते थे। सच्चे नबियों ने लोगों को वह बताया जो उन्हें सुनने की आवश्यकता थी … और लोगों ने उन्हें पत्थरों से मार डाला। इसलिए …

मरकुस 12:6,7 ““अब उसके पास केवल एक बच रहा−उसका प्रिय पुत्र। अन्‍त में उसने यह सोच कर उसे उनके पास भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। 7किन्‍तु किसानों ने आपस में कहा, ‘यह तो उत्तराधिकारी है। चलो, हम इसे मार डालें और तब इसकी पैतृक-सम्‍पत्ति हमारी हो जाएगी।’

यीशु हमेशा आपको वह नहीं बताते जो आप सुनना चाहते हैं – इसलिए उन्होंने उसे मार डाला। प्रभु यीशु मसीह की बात सुनें। वह जो कहता है, उस पर अमल करें।

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए… ।