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व्यक्तिवाद बनाम सामूहिकवाद

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नीतिवचन 27:10 अपने मित्र को, और अपने पिता के मित्र को कभी मत छोड़ना; अपने संकट के दिन अपने भाई के घर में पैर मत रखना। दूर रहनेवाले भाई से पास रहनेवाला पड़ोसी उत्तम है।

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व्यक्तिवाद बनाम सामूहिकवाद


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चाहे बूढ़े हों या जवान, दोनों के चेहरों को उनके स्मार्टफोन पर झुके देखना आजकल एक आम बात है।  हां, यह एक निराशाजनक तथ्य है, लेकिन जब आप इसके बारे में सोचते हैं, तो यह हमारे समाज में और वास्तव में, हमारे अपने जीवन में क्या हो रहा है, इसके बारे में गहराई से बताता है।

समुदाय की भावना जो मेरे बचपन में मौजूद थी, उस सामूहिकता की जगह अब व्यक्तिवाद ने ले ली है। पहले आज कि तरह सब के पास कारें नहीं थीं तो लोग बस या ट्रेन पकड़ते थे। अब, दुनिया के हर बड़े शहर की सड़कें कारों से भरी हुई हैं, जिनमें से अधिकतर में केवल एक व्यक्ति यात्रा करता है।

और हाँ, मोबाइल फोन ने लोगों को अधिक जोड़ने के साथ साथ और अधिक अलग-थलग भी कर दिया है। सबसे बुरी बात यह है कि हम इसके आदि हो गए हैं। बस यही सच्चाई है आजकल। लेकिन ऐसा होना जरूरी नहीं है।

नीतिवचन 27:10 अपने मित्र को, और अपने पिता के मित्र को कभी मत छोड़ना; अपने संकट के दिन अपने भाई के घर में पैर मत रखना। दूर रहनेवाले भाई से पास रहनेवाला पड़ोसी उत्तम है।

मुझे यह पद पसंद है क्योंकि यह एक मार्मिक सत्य को बताता है – वास्तव में यह परमेश्वर का आदेश है कि हम एक दूसरे पर भरोसा करके समाज का निर्माण करें। दूसरे शब्दों में, समुदाय के विकास के लिए हमारी दृष्टि हमारे स्मार्टफोन स्क्रीन तक सीमित ना रहे बल्कि इसे हमारे संकीर्ण दायरे से कहीं अधिक व्यापक होना  चाहिए।

अपनी आँखें उठाएं और अपने चारों ओर देखें। संबंध बनाने के लिए परमेश्वर आपको क्या अवसर दे रहा है? किसे आपकी मदद की जरूरत है? यदि आप किसी से दयालु शब्द कहते हैं  या किसी कि मदद करने के लिए हाथ बढ़ाते हैं, तो आप किस को आशीशित करेंगे?

किस तरह परमेश्वर का प्रेम आपके द्वारा किसी ऐसे व्यक्ति के पास पहुंचेगा, जिसे अभी, आज, उसकी अत्यंत आवश्यकता है?

अपने दोस्तों या अपने पिता के दोस्तों को मत भूलना।

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…।