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प्रतिक्रिया विश्वास पर निर्भर करती है।

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1 तीमुथियुस 6:3-5 यदि कोई और ही प्रकार का उपदेश देता है और खरी बातों को, अर्थात् हमारे प्रभु यीशु मसीह की बातों को और उस उपदेश को नहीं मानता, जो भक्‍ति के अनुसार है, तो वह अभिमानी हो गया, और कुछ नहीं जानता; वरन् उसे विवाद और शब्दों पर तर्क करने का रोग है, जिससे डाह, और झगड़े, और निन्दा की बातें, और बुरे–बुरे सन्देह, और उन मनुष्यों में व्यर्थ रगड़े–झगड़े उत्पन्न होते हैं जिनकी बुद्धि बिगड़ गई है, और वे सत्य से विहीन हो गए हैं, जो समझते हैं कि भक्‍ति कमाई का द्वार है।

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प्रतिक्रिया विश्वास पर निर्भर करती है।


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मैं आपके बारे में नहीं जानता, लेकिन मैं आत्म-भ्रम का स्वामी हूं। अपने जीवन में कई बार, मैंने किसी बात के सच होने पर विश्वास किया, लेकिन फिर अपना जीवन उस सच्चाई के बिल्कुल विपरीत तरीके से जिया। इसका अंत कभी अच्छा नहीं हुआ।

हम जो मानते हैं और जो हम करते हैं, उसके बीच एक आकर्षक संबंध है। पुरानी लैटिन भाषा में, जिसे हम मानते हैं उसे डॉक्सिस कहा जाता है और हम जो करते हैं, उसे प्रैक्सिस कहते हैं। या अंग्रेजी में doctrine और  practice -यानि सिद्धांत और अभ्यास। अब, सिद्धांत मेरे पसंदीदा शब्दों में से एक नहीं है, ये आप समझ ही गए होंगे। यह इस बारे में है कि हम क्या मानते हैं।

मार्टिन लॉयड जोन्स के अनुसार, कितने ही मसीही अपने विश्वास से कुछ इस तरह भटक जाते हैं।  एकबारजबआपअपनेसिद्धांतमेंभटकजातेहैं, तोबहुतजल्दआपअपनेव्यवहारमेंभटकजाएंगे; आपसिद्धांतकोव्यवहारसेअलगनहींकरसकते।

मैं पूरी तरह से सहमत हूं। जब हम अपने विश्वास के बारे में आलसी होते हैं, तो हमारा व्यवहार पानी की तरह बह जाता है। यहाँ उसी विषय पर प्रेरित पौलुस कहते है:

1 तीमुथियुस 6:3-5 यदि कोई और ही प्रकार का उपदेश देता है और खरी बातों को, अर्थात् हमारे प्रभु यीशु मसीह की बातों को और उस उपदेश को नहीं मानता, जो भक्‍ति के अनुसार है, 4तो वह अभिमानी हो गया, और कुछ नहीं जानता; वरन् उसे विवाद और शब्दों पर तर्क करने का रोग है, जिससे डाह, और झगड़े, और निन्दा की बातें, और बुरे–बुरे सन्देह, 5और उन मनुष्यों में व्यर्थ रगड़े–झगड़े उत्पन्न होते हैं जिनकी बुद्धि बिगड़ गई है, और वे सत्य से विहीन हो गए हैं, जो समझते हैं कि भक्‍ति कमाई का द्वार है।

यह बुरे व्यवहार की एक लंबी सूची है, जो गलत सिद्धांत, गलत विश्वास से उत्पन्न होता है। यदि आप मसीह के अनुयायी हैं, तो ध्यान से सुनें। बाइबल को लिखवाने और युगों तक सुरक्षित रखने के लिए परमेश्वर ने बहुत मेहनत की है। ये हमारा बिश्वास है। इसे समझें, और इस सच से भटक ना जायें।

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…।