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1 कुरिन्थियों 4:20 क्योंकि परमेश्वर का राज्य बातों में नहीं, परन्तु सामर्थ में है।

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जब आप अपने परिवार के भावनात्मक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को देखते हैं, तो आप क्या देखते हैं? क्या आप बहुत खुश हैं… या आपकी आंखों के सामने कोई त्रासदी घट रही है?

जैसा कि हमने पिछले कुछ दिनों में परिवारों, के बारे में बात की है, इससे यह तो स्पष्ट हो गया है कि दैनिक जीवन की वास्तविकता के संदर्भ में “आदर्श परिवार” किसी परी कथा की तरह है। 

हर परिवार के अपने मुद्दे होते हैं, अपनी समस्याएं होती हैं, अपने संघर्ष होते हैं और विद्रोही समस्याएं पैदा करने वाले सदस्य भी। और फिर भी परमेश्वर आपके परिवार को शब्दों से अधिक प्यार करता है। इसलिए उसने यीशु को मरने और फिर से जी उठने के लिए भेजा। आपके परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए क्षमा और जीवन में नयापन लाने के लिए।

लेकिन एक बात ध्यान देने की है। आप और मैं प्रार्थना सभाओं में जा सकते हैं, हम चर्च में जा सकते हैं, हम अपने परिवार के सदस्यों पर प्रचार कर सकते हैं फिर भी कुछ नहीं  बदलता। कभी-कभी यह परमेश्वर का समय नहीं होता। और कई बार हमारा अपना आचरण, यदि समस्या की जड़ ना भी हो, तो निश्चित रूप से पारिवारिक बिखराव में योगदान जरूर करता है।

जब हमारे व्यवहार और कार्य हमारे शब्दों से मेल नहीं खाते हैं, तो हम परमेश्वर को हमारे पारिवारिक संबंधों को ठीक करते हुए देखने में सबसे बड़ी बाधा बन जाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि …

1 कुरिन्थियों 4:20 क्योंकि परमेश्वर का राज्य बातों में नहीं, परन्तु सामर्थ में है। 

यीशु पहले आपके जीवन को बदलना चाहते हैं। यीशु आपको काट-छाँट कर, एक नया आकार दे कर, आपको विनम्र बनाना चाहते हैं ताकि आप अपने परिवार में येशु के राजदूत बन सकें।

आप किसी के जितने करीब होंगे, आपके शब्दों के बजाय आपके काम और व्यवहार, उन्हें मसीह के प्रेम को देखने में मदद करेंगे। इसलिए बातें नहीं पर काम करना शुरू करें। 

क्योंकि परमेश्वर का राज्य बातों में नहीं, परन्तु सामर्थ में है। 

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए… ।