यहां तक कि जब आप बूढ़े हो जाएं…
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Psalm 92:12-15 धर्मी लोग खजूर की नाईं फूले फलेंगे, और लबानोन के देवदार की नाईं बढ़ते रहेंगे। 13 वे यहोवा के भवन में रोपे जा कर, हमारे परमेश्वर के आंगनों में फूले फलेंगे। 14 वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे, 15 जिस से यह प्रगट हो, कि यहोवा सीधा है; वह मेरी चट्टान है, और उस में कुटिलता कुछ भी नहीं॥
इन दिनों एक बड़ी त्रासदी जो किसी महामारी की तरह सामने आ रही वो यह है कि वृद्ध पुरुष और महिलाएँ – जिनके पास वर्षों का अनुभव और ज्ञान है – जीवन से हार मान रहें हैं।
जीवन से हार मन बैठने से मेरा क्या तात्पर्य है? मेरा मतलब है कि वे दूसरे लोगों की सहायता करना बंद कर देते हैं । वे अपने अनुभव , ज्ञान, क्षमताएं और समय (जो अब उनके पास बड़ी मात्रा में है) दूसरों के साथ बांटना बंद कर देते हैं। देखिए, किसी बिंदु पर वेतनभोगी रोज़गार का अंत होना स्वाभाविक है। ठीक है ना?
और अक्सर लोग यह तय कर लेते हैं कि अब…मैं सिर्फ अपने बारे में सोचूँगा। मैं दुनिया भर में यात्रा करूंगा। मैं खुद को व्यस्त रखने के लिए आनंददायक चीजें ढूंढूंगा। और धीरे-धीरे, वे खुद पर अधिक ध्यान केंद्रित करने लगते हैं और अपनी क्षमताओं, अनुभव और ज्ञान को बर्बाद कर देते हैं।
लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए, क्योंकि जितना अधिक आप स्वयं पर ध्यान देंगे , जीवन उतना ही अधिक असंतोषजनक होता जाएगा। तो, यदि आप सोच रहे हैं कि मेरे लिए परमेश्वर की क्या योजना है:
भजन संहिता 92:12-15 धर्मी लोग खजूर की नाईं फूले फलेंगे, और लबानोन के देवदार की नाईं बढ़ते रहेंगे।
13 वे यहोवा के भवन में रोपे जा कर, हमारे परमेश्वर के आंगनों में फूले फलेंगे।
14 वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे,
15 जिस से यह प्रगट हो, कि यहोवा सीधा है; वह मेरी चट्टान है, और उस में कुटिलता कुछ भी नहीं॥
निश्चित रूप से, जैसे-जैसे हम उम्र में बड़े होते हैं, हमारा शरीर हमें बताता है की हम क्या कर सकते हैं और क्या नहीं। लेकिन जो लोग प्रभु के पीछे चलते हैं उन्हें युवा, स्वस्थ पेड़ों की तरह फल पैदा करते रहना चाहिए। उनका काम अपने जीवन के माध्यम से हर किसी को यह दिखाना है कि परमेश्वर भला है।
जीवन से हार ना मानें। . फल पैदा करते रहें । .
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…।